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आखिर क्यों खत्म की अंग्रेजों ने दास प्रथा?

दास प्रथा एक पुरानी और दुर्भाग्यपूर्ण प्रणाली है जिसमें मनुष्यों को संपत्ति के रूप में माना जाता था और उनका शोषण किया जाता था। यह प्रणाली विश्व के विभिन्न हिस्सों में पाई जाती थी, लेकिन यह सबसे अधिक अफ्रीका, एशिया और अमेरिका में प्रचलित थी।


दास प्रथा के मुख्य पहलू हैं:


1. मानवों को संपत्ति के रूप में माना जाना

2. दासों का शोषण और दुर्व्यवहार

3. दासों को उनकी स्वतंत्रता से वंचित करना

4. दासों को उनके मालिकों के अधीन करना


दास प्रथा के कुछ प्रमुख प्रकार हैं:


1. घरेलू दासता

2. कृषि दासता

3. औद्योगिक दासता

4. सैन्य दासता


दास प्रथा के खिलाफ लड़ाई में कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों और संगठनों ने भाग लिया, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:


1. महात्मा गांधी

2. नेल्सन मंडेला

3. मार्टिन लूथर किंग जूनियर

4. विलियम विल्बरफोर्स

5. एबोलिशनिस्ट सोसायटी


दास प्रथा को समाप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण कानून और संधियाँ बनाई गईं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:


1. मानवाधिकार घोषणा (1948)

2. दासता उन्मूलन अधिनियम (1833)

3. अमेरिकी गृहयुद्ध और दासता उन्मूलन संशोधन (1865)

4. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के दासता उन्मूलन सम्मेलन (1930)


दास प्रथा का इतिहास और इसके प्रभाव आज भी हमारे समाज पर देखे जा सकते हैं। 

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